Wednesday, November 24, 2010

दिल आज शायर है ....

 
दिल  आज  शायर  है , गम  आज  नगमा  है , शब्  ये  गजल  हैं   सनम 
गैरों   के   शेरों  को  ओ  सुननेवाले , हो   इस   तरफ  भी  करम, 

आ  के  ज़रा  देख  तो  तेरी  खातिर , हम  किस  तरह  से  जिए 
आंसू  के  धागे  से  सीते  रहे  हम   जो  जख्म  तूने  दिए  
चाहत  की  महफ़िल  में  गम  तेरा  ले  कर  किस्मत  से  खेला  जवाँ 
दुनिया  से  जीते , पर  तुज  से  हारे , यूं  खेल  अपना  हुआ,

है  प्यार  हम  ने  किया  जिस  तरह  से , उस  का  ना  कोई  जवाब 
जर्रा  थे  लेकिन  तेरी  लौ   में  जलाकर , हम  बन  गए  आफताब 
हम  से  हैं  ज़िंदा  वफ़ा  और  हम  ही  से  हैं  तेरी  महफ़िल  जवान 
हम  जब  ना  होंगे  तो  रो  रो  के  दुनिया  ढूंढेगी  मेरे  निशाँ 

ये  प्यार  कोई  खिलौना  नहीं  है , हर  कोई  ले  जो  खरीद 
मेरी  तरह  जिन्दगी  भर  तड़प  लो , फिर  आना  उस  के  करीब  
हम  तो  मुसाफिर  है , कोई  सफ़र  हो  हम  तो   गुजर  जायेंगे  ही 
लेकिन  लगाया  हैं  जो  दाँव  हम  ने  वो  जीतकर  आयेंगे  ही... 
वो  जीतकर  आयेंगे  ही...वो  जीतकर  आयेंगे  ही...